Sunday, July 24, 2022

कविता | विजयी मयूर | सुभद्राकुमारी चौहान | Kavita | Vijayi Mayur | Subhadra Kumari Chauhan


 
तू गरजा, गरज भयंकर थी,

कुछ नहीं सुनाई देता था।

घनघोर घटाएं काली थीं,

पथ नहीं दिखाई देता था॥


तूने पुकार की जोरों की,

वह चमका, गुस्से में आया।

तेरी आहों के बदले में,

उसने पत्थर-दल बरसाया॥


तेरा पुकारना नहीं रुका,

तू डरा न उसकी मारों से।

आखिर को पत्थर पिघल गए,

आहों से और पुकारों से॥


तू धन्य हुआ, हम सुखी हुए,

सुंदर नीला आकाश मिला।

चंद्रमा चाँदनी सहित मिला,

सूरज भी मिला, प्रकाश मिला॥


विजयी मयूर जब कूक उठे,

घन स्वयं आत्मदानी होंगे।

उपहार बनेंगे वे प्रहार,

पत्थर पानी-पानी होंगे॥


No comments:

Post a Comment

Charles Perrault

  Charles Perrault Fairy Tales The Blue Beard Little Thumb Puss in Boots The fairy The Ridiculous Wishes