Friday, June 24, 2022

कविता। सब जीवन बीता जाता है। Sab Jeewan Beeta Jata Hai | जयशंकर प्रसाद | Jaishankar Prasad


 

सब जीवन बीता जाता है

धूप छाँह के खेल सदॄश

सब जीवन बीता जाता है


समय भागता है प्रतिक्षण में,

नव-अतीत के तुषार-कण में,

हमें लगा कर भविष्य-रण में,

आप कहाँ छिप जाता है

सब जीवन बीता जाता है


बुल्ले, नहर, हवा के झोंके,

मेघ और बिजली के टोंके,

किसका साहस है कुछ रोके,

जीवन का वह नाता है

सब जीवन बीता जाता है


वंशी को बस बज जाने दो,

मीठी मीड़ों को आने दो,

आँख बंद करके गाने दो

जो कुछ हमको आता है


सब जीवन बीता जाता है.


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